दिल में उठी हर बात को कहा नहीं जाता,
जलना ही है तो चिराग बन, उजाले के लिए,
अंधो के शहर में आइना बेंचा नहीं जाता॥
जलना ही है तो चिराग बन, उजाले के लिए,
चिराग बन कर चिराग से जला नहीं जाता॥
आसमान पे नज़र रखने वाले पैर ज़मीं पे रख,
औरो के कंधो पर चढ़ कर कभी उड़ा नहीं जाता॥
कुछ पाने के लिए कुछ दे दिया तो सौदा हुआ,
पर दोस्ती में तो खुदगर्ज बना नहीं जाता॥
जैसा देस हो वैसा भेस भी होना चाहिए मुसाफिर,
अंगारों के बिच कागज़ का लिबास ओढ़ा नहीं जता॥
आसमान पे नज़र रखने वाले पैर ज़मीं पे रख,
औरो के कंधो पर चढ़ कर कभी उड़ा नहीं जाता॥
कुछ पाने के लिए कुछ दे दिया तो सौदा हुआ,
पर दोस्ती में तो खुदगर्ज बना नहीं जाता॥
जैसा देस हो वैसा भेस भी होना चाहिए मुसाफिर,
अंगारों के बिच कागज़ का लिबास ओढ़ा नहीं जता॥
6 comments:
I like!
Looks good,
Mashaallah...!!!
Shayari ko padhke aisa lagta he ki shayar bahot hi anubhavi he ya phir dusronke anubhav likh raha he
ye duniya to aisi he 'sambhalkar chalane walon ko kabhi afsos nahi hota'
gurubhai jabardast hai kavita
bohot hi accha hai....
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